Wednesday, November 4, 2009

देश का अपमान

देश सबसे पहले है और राष्ट्रीयता हमारी पहचान है |हम गर्व से कहते है की हम भारतीय हैं तो फिर ऐसा क्यों की हम अपनी एक पहचान को खो दें | पिछले कुछ दिनों पहले मुसलमान समुदायों की "जमात उलेमा ऐ हिंद " के बार्षिक सम्मलेन में मुल्लाओ ने कहा की हम राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को नही गा सकते है ,आख़िर वजह क्या है क्या वो भारतीय नही ,या वो आज भी ख़ुद को इस देश का नही महसूस करते|"दारुल उलेम देओबंद" के द्वारा वर्ष २००६ में जारी किए गए एक फतवे में ऐसा कहा गया था की वंदे मातरम् को मुसलमान समुदायों के द्वारा नही गाया जा सकता है |
ये एक ऐसी भावना है जो अलगाववाद को जन्म दे सकती है | क्या मुस्लिम समुदाय भारत की राष्ट्रीय पहचान से जुड़ा नही है |या फिर वो अपनी एक इस्लामिक पहचान बनाना चाहते हैं ,बात बिल्कुल स्पष्ट है "जमात ऐ उलेमा"जैसे संगठन इस देश के अन्दर एक ऐसा राज्य का निर्माण चाहते है जिन पर सिर्फ़ मुल्लाओं का शासन हो |हमारा देश स्वतंत्र है और आज हर व्यक्ति को अभिवयक्ति की स्वंत्रता है लेकिन हम इस स्वतंत्रता का प्रयोग शायद ग़लत दिशा में कर रहे है|

आज देश की आबादी में मुसलमान समुदाय के लोग नही है क्या , देश का हर एक मुसलमान पहले हिन्दुस्तानी और बाद में मुसलमान होने की बात करता है| आज उन मुसलमान भाइयो से मेरा एक सवाल है की उनकी भारतीयता कहाँ गुम हो गई है| क्या उनके धर्मग्रन्थ कुर्रान के अनुसार राष्ट्र का सम्मान करना गुनाह है |क्या राष्ट्रीयता उनकी पहचान नही|देश के गृह मंत्री और योग गुरु बाबा रामदेव ने भी इस विषय पर चुप रहना ही मुनासिब समझा लेकिन एक भारतीय होने के नाते ये सवाल किसी भी भारतीय के मन में जागृत हो सकता है |
इस्लाम के नाम पर जिहाद जायज है तो क्या उनका इस्लाम राष्ट्रीयता का पाठ नही पढाता है |

ये सवाल हर एक भारतीय से है जो ख़ुद को देश की एकता और अखण्डता का रक्षक घोषित करते है | ऐसी भावनाएँ और शब्द हमें एक देश के नागरिक होने के बावजूद भी आत्मीय रूप से बिभाजित कर सकते है और यह आत्मीय अलगाव हमें "हिंदू मुस्लिम भाई भाई" नही रहने देगा |

5 comments:

Vikas Kumar said...

behatar likha hai aapne .....
aapke lekh se apka gusa saf jhalak raha hai.....

vastav me kuchh log aise hain jinka hit in muddo se sadhata hai....

aam muslamna yaa hindu ko is mudde se jyaadaa sarokar nahi hai

ReligioN, A Silent ConspiracY said...

मुस्लिमों पर एक फ़तवा आ गया तो आपको राष्ट्रियता याद आ गयी!!! आपने क़ुरान तक को कटघड़े में ला खड़ा कर दिया. मुझे सिर्फ़ इतना बता दिजिये कि कितने प्रतिशत भारतीय को वन्दे मातरम की दो लाइन भी याद है.कुछ मुल्लाऒं के फ़तवे को समूचे भारतीय मुसलमान से जोड़ देना शायद सही नहीं था.

लिखते रहिये..

Unknown said...

bhai kuraan ko katghare me lane ki baat nahin hai. baat to reality ki hai. "bande maatram" hindustaan ka rashtrageet hai. kam se kam is par to fatwa nahin laana chahiye.
i personally respect islaam for its discipline but i dont understand this fatwa system.
what respected mohammad saheb had to say, they said.what fatwa has got to do with that.
aur rashtriyata to yaad hamesha aayegi jab jab is par koi question khada karega.
aap bhi yaad rakhiye sir! ye apka respect hi hai ki aap abhi comment likh rahe hain. same is with me.

Anonymous said...

I am shocked not because I did not like your statement but because you perhaps did not understand me. I am not standing for the bloddy Mullaahs who passes fatwa after fatwa. I am just saying that why should we care for a few Mullaah when we have crores of Muslim out here who everyday in a school sing "saare jahan se achhaa hindostaan hamara", & "Jan gan man" & many more. I would highly appreciate if you can be honest doing a survey among 10 so called hindu or so called indian who really have "Vande mataram" instilled in them.

Hope you won't mind it!!

Unknown said...

no way. i would never mind it.
and i would also not forget to say sorry to have mistaken u but ur first two lines say so.
and to conduct a survey, i would like to say only one thing , if vim bar , coke, wall mart like things can be made known to indian people and masses, then why cannot this be popular among the indian mass.
friend, find out some way that this discussion should end fruitfully and bande matram could be made known to indian masses.

reply asap.

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