Tuesday, December 8, 2009

बाबरी आयोग का वियोग


बचपन में एक कहावत पढी थी "इतिहास हमेशा अपना सुराग छोडता है।" एक ऐसा ही इतिहास है दिसंबर 6 ,1992 । “बाबरी विध्वंश ” जिसकी परसों वर्षी मनायी गयी । भारतीय राजनीति में एक ऐसा काला दिन जो अपने आप में आज भी सवाल ही है ।सत्रह साल ,अडतालीस अवधि विस्तार, आठ करोड़ का खर्च और रिपोर्ट तेरह पन्नो का ऐ।टी.आर |लिब्राहन आयोग कि रिपोर्ट सत्रह साल बाद देश के राजनीतिक अखाडॆ मे नया तान्ड्व करने की पूरी तैयारी के साथ शीत कालीन सत्र मे पेश किया गया। इतने लम्बे इन्त्ज़ार का परिणाम सबके सामने है। सबसे ज्यादा तो इस देश की आम जनता महरूम होती है। वो हिन्दू हो या मुसलमान । धर्म के नाम पर फ़ैलाये गये ऐसे उन्माद किसी सकारात्मक सोच को कतई जन्म नहीं दे सकती। ये सिर्फ़ उस इमारत कि नीव को मजबूत करती है जिस पर सिर्फ़ साम्प्रदायिक दंगो का महल बनाया जा सकता है और जिसकी दीवारों को हिन्दू या मुसलमान की लाशों से मजबूती प्रदान की जाती है।

आयोग शब्द ही जैसे इस देश की जनता के बीच अब डर का माहौल पैदा करती है। लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट सांसद के पटल पर रखी नही गयी कि , उसके लीक होने की जांच के लिये एक आयोग कि स्थापना कर दी गयी। बाबरी मस्जिद के विध्वंश की जांच कर रही इस आयोग ने सत्रह साल के एक लम्बे अन्तराल के बाद देश के राजनीतिक माहौल में एक नयी सरगरमी पैदा कर दी है । आज सबसे बडा सवाल यह है कि दोशी है कौन ? जवाब आयोग कि रिपोर्ट से मिलता है कोई नहीं। लोकतांत्रिक आयोग की रिपोर्ट ने भाजपा के तमाम बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ताओ तक करीब 68 लोगो को बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने का दोषी पाते हुए उसे छदम उदारवादी , छदम राष्ट्रवादी ,और छदम लोकतंत्रवादी की संज्ञा दी है | वर्णनात्मक सूची में कई बडॆ नाम शामिल हैं । आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, गोविन्दाचार्य, ना जाने कितने | हां एक बात और वाजपेयी जी का नाम सातवें स्थान पर इंगित है ।भारतीय जनता पार्टी के जिन लोगो के नाम सामने आये हैं, उनमे से उमा भारती टी. वी. चैनलों पर इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेती देखी जाती है। जो दावे के साथ कह्ती है कि मुझे अगर फ़ासीं की भी सजा हो तो मुझे कोइ गम नहीं होगा । लेकिन उनका ये अदम्य साहस न्यायालय में कहां गुम हो जाता है।जब इसकी सुनवाई हो रही थी |

लिब्राहन आयोग कि रिपोर्ट एक ऐसा सच ले कर सामने आयी है। जिससे साफ़ पता चलता है कि देश की दोनो राजनीतिक पार्टीयों ने इस मुद्दे का समय समय पर बखूबी राजनीतिक फ़ायदा लिया है। हम ऐसा कह सकते है कि हमारे देश की जनता दयनीय स्थिति में है | उसके एक तरफ़ कुआं है तो दूसरी तरफ़ खाई | आज़ादी के बासठ सालो में जनता को या तो कांग्रेस की सरकार को बर्दाश्त करना पडा या फिर भातीय जनता पार्टी के नेत्रित्व वाली सरकार को | इस रिपोर्ट ने स्पष्ट तौर पर उस समय के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को दोषी साबित किया है। जिन्होने पूरी जानकारी होने के बावजूद एक ठोस कदम नहीं उठाया था । अन्य्था इस विध्वन्श को रोका जा सकता था। लिब्राहन आयोग के इस दोषारोपण में एक नाम आम लोगों को हजम नही हो रही है वो है “अटल बिहारी वाजपेयी” । जब आडवाणी जी की रथ यात्रा की बात चल रही थी तो उन्होने गोविन्दाचार्य को कहा था कि “मैं ऐसी नौटंकी में नही जाता ” इससे बिल्कुल साफ़ होता है कि वो ऐसी किसी भी राजनीतिक प्रचार प्रसार के खिलाफ़ थे। कल सलमान खुर्शीद लोक सभा में ये कह्ते हुए पाए गये कि गलती से उनका नाम चला गया। बडा ही हास्यासपद लगता है कि आयोग अपनी जांच और रिपोर्ट पेशी मे ऐसी गलती करता है।

इस रिपोर्ट ने राजनितिक पार्टियों के चेहरे से एक ऐसा नकाब हटाया है |जिससे भाजपा जैसी लोकतांत्रिक पार्टी का एक ऐसा चेहरा सामने आ गया है ,जिसने लोकतांत्रिक संगठन के रूप में दिन -बदिन अपनी विश्वासनियता कम की | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ,विश्व हिंदू परिषद ,बजरंग दल पर अधिकाधिक निर्भरता और शिवसेना जैसी घोर साम्प्रदायिक और क्षेत्रीवादी संगठनों से दोस्ती के कारण उसका संकीर्ण राष्ट्रवादी ,साम्प्रदायिक चरित्र ही उतरोतर सामने आया है |वही दूसरी तरफ़ कॉग्रेस की सरकार भी इसके लिए कम जिम्मेदार नही है |

लिब्राहन आयोग कि इस रिपोर्ट ने इन दोनों पार्टियों कि ऐसी पोल खोल दी है जिसमे ये अपने राजनितिक स्वार्थ को सर्वोपरि मानकर देश कि जनता को पिछले सत्रह सालो से गुमराह करते आए है |एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि देश कि भोली भाली जनता को हर बार ठगा जाता है|

सही मायने में मनु ,कौटिल्य और चाणक्य के इस देश में राजनीति शब्द को कलंकित किया गया है|जिसकी आड़ में निजी स्वार्थो कि एक ऐसी रोटी पकाई जाती है जिसका स्वाद समयानुसार देश कि दोनों बड़ी पार्टियाँ चखती रही है |एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि देश कि राजनीति अब मात्र कुर्सियों का खेल बन कर रह गई है |लोकहित के लिए जरूरत है एक क्रान्ति कि हाशिये पर स्थित समाजवादिओं को समाजवादी लोकतंत्र की एक पार्टी बनाकर ठोस विकल्प प्रस्तुत करने कि कोशिश करनी चाहिए|
|लिब्राहन आयोग का वियोग एक नजरिये से दोनों पार्टियों के हित में है |

5 comments:

Unknown said...

sir baat to aap pate ki kah rahe hai lekin ek bat to jo sach bhi hai aur ek tarah se kah sakte hai bada hi naye tarike ka ki report bina ghatnasthal pe jakar hi pesh kar di,agar simple si maarpit bhi ho to police ghatnasthal par jaati hai lekin librahan ne ghatnasthal par jana munasib nahi samjha.report jo bhi ho par usme bahut si aisi baat dab gayi jo ujagar ho sakti thi.

ULKASHM said...

लोकहित के लिए जरूरत है एक क्रान्ति कि हाशिये पर स्थित समाजवादिओं को समाजवादी लोकतंत्र की एक पार्टी बनाकर ठोस विकल्प प्रस्तुत करने कि कोशिश करनी चाहिए|..... Gautam Babu, es hamam me sab nange hain.....aap kin samajwadiyoun ki baat kar rahe hai aaj ke es sattalolup rajniti me.satta to aaj rajnetaon ki rakhail ban chuki hai.
Aur aapne Bajpeye ji ko katghare me kara karne par dabi jubaan se aalochna ki hai.......“अटल बिहारी वाजपेयी” । जब आडवाणी जी की रथ यात्रा की बात चल रही थी तो उन्होने गोविन्दाचार्य को कहा था कि “मैं ऐसी नौटंकी में नही जाता ” इससे बिल्कुल साफ़ होता है कि वो ऐसी किसी भी राजनीतिक प्रचार प्रसार के खिलाफ़ थे।..... kya etna hi kafi hai unke doshmukta hone ke liye. zara sochiye... satta ka sahanshah jo ho wo sirf etna kahkar sab tamasha dekhta rahe... nyaochit hai ?? AAKIR sawal hamare desh ka hai na!
RACHNAYEN maulik hain, par kuchek bindu par ASAHMATI SAHIT... aapki utkrishta ko SHUBHKAMNAYEN.

Vikas Kumar said...

badhiya lekh......abhi pura nahi padh saka hun.....phursat men dekhata hun.
lekin lekha apane badhiya hai ye lekh ke shirshak se pata chal raha hai.

Anonymous said...

very good...
It will be more better if you write that how Congress is indirectly responsible for that.?

your sher and ghazals was also good.

संदीप said...

गौतम,

इस रिपोर्ट से कांग्रेस और भाजपा दोनों को कोई नुकसान नहीं है...बल्कि नुकसान तो आम जनता का ही जिसके पैसे फूंक कर 17 साल तक यह तमाशा चला। इसका भी वही हाल होना है जो श्रीकृष्‍ण कमीशन की रिपोर्ट का हुआ था। लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट एक भद्दा मज़ाक है...
वैसे समाजवादी लोकतंत्र की पार्टी बनाने वाली बात से सहमत नहीं हूं....

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails