Thursday, June 9, 2011

बयान से बवाल तक


शाम ढल चुकी थी एक और अनशन समाप्त हो गया था ,अन्ना की चतुराई का एक और शो कई सवालों के साथ अपना बोरिया बिस्तर समेट चुका था |लेकिन कुछ सवाल अभी भी जनमानस के मस्तिष्क में कौतुहल मचा रहे थे | सरकार की कुटिलता को बखूबी देखा जा सकता था |चेतावनी दर चेतावनी उनके लिए शायद परेशानी का सबब नहीं है और इसलिए अब वाकयुद्ध का सिलसिला अपनी चरम पर पहुँच चुका है |

11 हजारी सेना'

रामदेव बाबा के "11 हज़ार युवा और युवतियों की एक 'सेना' "बनाने की बात ने देश की राजनीति में हलचल लाने में कोई क़सर नहीं छोडी है |उधर दूसरी तरफ चिदम्बरम साहब का दूरदर्शन को दिए गए साक्षात्कार में यह बयान कि इन्होने (रामदेव )ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है ,और अपना सच्चा रंग भी |फिलहाल वाक् युद्ध ही सही लेकिन देश की राजनीती में उठापटक ने कहीं ना कहीं " धर्म की राजनीति " का रास्ता अख्तियार कर दिया है |

बाबा को संघ का साथ

इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता है,कि बाबा रामदेव को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संघ का साथ तो मिल रहा है | अशोक सिंघल का हरिद्वार जाकर बाबा का हाल चाल लेना ,भारतीय जनता पार्टी का खुला समर्थन ,साध्वी रिताम्भरा का मंच पर उनके साथ होना |रामदेव बाबा के बयान कि जरूरत पड़ने पर इस सेना की संख्या ११ हजार से बढ़ाकर ११ लाख भी की जाने की बात पर जयंती नटराजन के विपक्ष से पूछे गए सवाल 'क्या सशस्त्र विद्रोह की तैयारी है? 'ये सारे तथ्य इस बात का पुख्ता प्रमाण हैं कि देश की राजनीति एक नयी दिशा और दशा तलाश रही है

रामदेव का उग्र बयान :

बाबा रामदेव भले इतने उग्र क्यों हो गए ?क्या उनका धैर्य जवाब दे रहा है ? क्या उन्होंने अपना असली रूप देश के सामने रख दिया है ? जाने और कितने सवाल क्या रामदेव बाबा का ऐसा भड़काऊ बयान यथोचित है ?जैसा कि चिदम्बरम साहब ने उन्हें चेतावनी भरे लहजे में संकेत दिया कि वो अपना काम करें और प्रशासन अपना काम करेगी |इन्होने तो बाबा रामदेव को आर .एस. एस का साथ होने तक की बात कही है ,|देश की वो सरकार जिसे जनता चुनती है ,आज वही जनता इसके खिलाफ है |राजनीति शब्द को चरितार्थ करते हुए सरकार ने अन्ना और रामदेव के समर्थकों को बांटने की भी भरपूर कोशिश की लेकिन आज इन दोनों को सुर साथ हैं |

वाक् युद्ध का सिलसिला

वाकई इस देश की राजनीति में फिर एक बार भूचाल आया जैसा मालूम होता है |देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों में रामलीला मैदान काण्ड के बाद छिड़ा वाक् युद्ध महज देश की जनता को गुमराह करने का एक नायाब नुस्खा मात्र है या फिर महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दे पर घिरी सरकार का अपने दामन को बचाने की कोशिश जिस पर शायद दाग लग चुका है |बाबा रामदेव के मंच पर साध्वी ऋतंभरा का साथ बैठना,पाँच हजार की भीड़ की अनुमति माँगने के बाद लांखो की भीड़ जमा कर लेना सरकार के लिए डर का सवब और आधी रात अपनी बर्बरता दिखाने का एक कारण बना, ये कितना सच और कितना झूठ है ये भले ही विवाद का विषय हो सकता है लेकिन एक सच जो सामने रहा है वो यह कि सरकार की कुटीरता और चालाकी में ये फस गए से मालूम होते हैं

महर्षी पतंजली ,स्वामी विवेकानंद,गौतम बुद्ध का सैदव उदाहरण देने वाले रामदेव बाबा को भी देश की अखंडता और एकता का बखूबी ख़याल रखना चाहिए |लोग उन्हें बाबा कहते हैं और वो अगर सत्याग्रह की बात करते हैं तो उनके मन रूपी शब्दकोष में आवेश जैसे शब्द की कतई जगह नहीं होनी चाहिए | हो सकता है रामलीला मैदान की रावण लीला में लाठियां उन्हें भी खानी पडी हो, लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है कि सत्याग्रह की नीव पर आक्रोश के ईंट का महल तैयार किया जाए जिसे किसी भी राजनीतिक और कूटनीतिक थपेड़े से गिराया जा सके |

चोर सिपाही का खेल

अँधेरे को कोसने से अच्छा है कि है कि हम रोशनी की तलाश करें

इंतज़ार और सही

अब जरूरत है धैर्य और संयम की साहस और विवेक की सहनशीलता और चतुराई की जिसके जरिये सरकार से अपनी बात कैसे मनवाई जाए|बाबा रामदेव और अन्ना भी तो उसी आम आदमी के दायरे मे हैं |ये दोनों शब्दों के कुशल कारीगर भी हैं और आम जनता के प्रणेता भी ,अब इंतज़ार सिर्फ इस बात का है देश की त्रस्त जनता को इनसे कब निजात मिल पात है और देश की राजनीती का भविष्य किस दिशा में जाकर स्थिर होगा |






Friday, June 3, 2011

India emerging as Global Economy


The world is keeping a hawk eye on India. There is no dearth of doubt in saying so.India is not only emerging as a Global Economy but also gaining the attention of those countries which used to call it the nation of the third world at times.Gone are the days when the developed countries used to neglect or ignore this developing country.

Since last one year the visit of the prominent countries have been witnessed.America, Russia, china ,Pakistan and many more are in the queues who have visited India with any sort of reason.Either for a dialogue to discuss terrorism or for a deal or may be to concrete the base to begin the composite dialogue.

The recent visit of German Chancellor Angela Merkel may be counted on the fingers also .Security and terrorism were the key issues that had been discussed in the talks.To strengthen the strategic relation amongst the countries India is leaving no stone unturned, either by making an access or trying to consolidate the pillar of business and trades to the different countries.

The dominance of India can be noticed when in the BRICS Summit the decision of doing inter business has been taken its own currency with the approval of all these nations among themselves.

This may be called a lay man example to prove the candidness that how India is now dominating on the mind set of other countries. But we have something to count today. The fresh appointment of International Monetary Fund (IMF) chief after the disgraceful exit of Dominique Strauss-Khan also has been in the talk. In the G-8 Summit which concluded in France last week this was being discussed that what is India’s point of view or who should be the right man to fit in this chair.

Here is a chronology that may remind you the prominent countries which toured India in last one year.

Russian Prime Minister Vladimir Putin arrived on Mar 12 ,2010 to ink big defence deals.

Bhutanese Prime Minister Lyonchhen Jigmi Y. Thinley arrived on a five-day visit to India. 30 Oct 2010.

US President Barack Obama arrived on three-day visit on Nov 06, 2010.

Wen Jia Bao on 15 Dec 2010 on three day visit.


Cricket diplomacy

Pakistan Prime Minister Yousuf Raza Gilani due to watch the match as a guest of Indian counterpart Manmohan Singh. In a high profile match between India and Pakistan on March 30, 2011.

US secretary of homeland security Janet Napolitano arrived here on May 25, 2011 to discuss counter-terrorism, combating illicit funds.

The recent visit of German Chancellor Angela Merkel on May 31 ,2011 and Afghanistan defence ministert Abdul Rahim Wardak on JUNE 1, 2011 .

Last but not the least we can say that the world has been keeping a constant vigil on India in every aspect.The emergence of India in it powered way has been keeping the countries on the toes.Slowly and steadily India has paved its way on the progress.let's hope to be it the world's richest economy.

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